भूल न जाना जन्मोत्सव में,
फुलझड़ियों की चमक दमक में,
आये थे प्रभु यीशु जग में,
हम सबको नवजीवन देने
भूल न जाना जन्मोत्सव में,
सृष्टी ने कर्ता को नकारा,
अन्धकार ने न स्वीकारा,
तिरस्कार ही था बस घर में,
भूल न जाना जन्मोत्सव में,
धर्म, अधर्म के इन योगों में,
सर्व लोक के प्रभु महाराजा,
निर्बल बन आये इस जग में,
भूल न जाना जन्मोत्सव में,
भौतिकता की तड़क भड़क में,
नम्र दीन दयाल थे प्रभुवर,
जनम लिए आये चरनी में,
भूल न जाना जन्मोत्सव में,
बालक जिसने जन्म लिया था,
स्वर्ग पिता का नामकरण था,
यीशु पाप हरे जो जग में,
भूल न जाना जन्मोत्सव में,
अन्धकार की घमासान में,
हाहाकार मचा था जग में,
खून बहा घर घर गलियों में
भूल न जाना जन्मोत्सव में,
कंगालों की खुशखबरी को,
अंधे देखें, बंधुए मुक्त हैं,
कुचले अब उठ आये हैं
भूल न जाना जन्मोत्सव में,
मानव चोला पहन लिए जो,
राजाधिराज प्रभु ही हैं वो,
घर आये जो संग रहने को
भूल न जाना जन्मोत्सव में,
काँटों के राज्याभिषेक को,
कोड़े, मार जख्म और लहू को,
फेहराते उस रक्त ध्वज को
भूल न जाना जन्मोत्सव में,
हंसी रंग और नृत्य नाद में,
शीघ्र पधारें परम प्रभुजी
राज्य पराक्रम महिमा पाने