प्याले में आखिर था क्या?

प्याले में आखिर था क्या ?
प्याले में से पीने का अर्थ ?
प्याला पहले से क्यों देखा गया ?

उस अंधेरी रात को, फसह का पर्व मनाकर वो अपने 11 चेलों के साथ गत्समने को गया( यहूदा पहले ही बाहर चला गया था) और उनसे कहा यहां जागते रहो, और प्रार्थना करो।

उनसे कहा मेरा मन व्याकुल है…. मेरा जी बहुत उदास है, यहां तक कि मेरे प्राण निकला चाहते हैं । – मत्ती 26:38

हज़ारों उसके अनुयायी अपने प्रभु के लिए आनेवाले दिनों में जान देंगे, और खून बहाएंगे, तो क्या उनका प्रभु यीशु स्वयं क्रूस की मृत्यु से डर रहा था ?

हरगिज़ नहीं,
क्रूस की मृत्यु का डर नहीं था।
पर दर्द, पीड़ा और हृदय वेदना थी,
संसार का सबसे बड़ा शारीरिक, भौतिक और आत्मिक युद्ध अकेले लड़ना है और यातनाएं सहकर और खून बहाकर पाप, मृत्यु और शैतान पर विजय प्राप्त करना है
ऐसा युद्ध जो शारीरिक शक्ति से नहीं पर आत्मिक बल से ही जीता जाएगा।

वह सम्पूर्ण मनुष्य बनकर अपने ईश्वरीय अधिकारों को छोड़कर आया था और अब,

* सारा संसार उसका दुश्मन हो जाएगा
* शैतान का सरदार और उसकी सेना उससे लड़ेगी
* परमेश्वर भी उसे बलिवेदी पर छोड़ देगा।
* सारे संसार के पाप का दोष और दंड उसके ऊपर डाला जाएगा। (यशायाह 53)

फिर वह थोड़ा और आगे बढ़कर (3 बार प्रार्थना)
* मुंह के बल गिरा

1 – और यह प्रार्थना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह प्याला (कटोरा) मुझ से टल जाए; तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो।
– फिर चेलों के पास आकर उन्हें सोते पाया,

पहली प्रार्थना और दूसरी प्रार्थना के बीच एक स्वर्गदूत भेजा गया, जिसने उसे सामर्थ दिया, जो जवाब भी लेकर आया ? कि पिता चाहता है कि ये प्याला पिया जाए, लूका 22:43

कैसी सामर्थ?
अवश्य ही पवित्र शास्त्र के वचन द्वारा उसे शक्ति दी गई होगी।
और इस कारण
2. प्रभु यीशु की दूसरी प्रार्थना बदल गयी,
यदि जैसा तू चाहता है कि मुझे ये प्याला पीना ही चाहिए तो मैं तेरी मर्ज़ी करने के लिए तैयार हूं। चेले फिर भी सोते रहे

3. तीसरी प्रार्थना भी दूसरी प्रार्थना की तरह थी।

प्याले (Cup) के पेय मिश्रण को पीना एक भयानक अनुभव है, चखना है, जिसका परिणाम मृत्यु है।

प्याले में आखिर था क्या ? (A)

* उसका पीटा जाना, मुंह पर थप्पड़, मुंह पर थूका जाना, कोड़े पड़ना, बैंजनी वस्त्र, काँटों का ताज, क्रूस को ढोना, हाथों और पांवों में कीलों का ठोकना,
* आने जाने वाली जनता का घोर अपमान और गालियां
* और सबसे बड़ी बात पिता परमेश्वर से उसका जो रिश्ता था वो कुछ देर के लिए मानो टूट जाना और संसार में अंधकार का अधिकार
*और उस बीच उसके अपने चेलों का उसे छोड़कर भाग जाना और इनकार करना
* मनुष्य का अन्याय, क्रोध, झूठ, स्वार्थ और धोखा
* और पाप के विरुद्ध परमेश्वर का आक्रोश व क्रोध

प्याला पीने का अर्थ ? (B)
यही कि, पिता मैं तैयार हूँ, परमेश्वर की मर्ज़ी करने के लिए

प्याला पहले से क्यों देखा गया ?(C)

1. इसलिए कि सब ये जानें कि प्रभु यीशु को धोखे से मृत्यु नहीं मिली, उसने पूरी जानकारी के साथ, सम्पूर्ण मन से पिता की मर्ज़ी मनुष्यमात्र की मुक्ति के लिए करी

2. उसने बचने का उपाय नहीं ढूंढा, यदि वो चाहता तो गत्समने से भाग सकता था, अंधेरा था, और बाग़ शहर के बाहर था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया

(Most important)
3. यदि बिना प्याले को देखे, बिना स्वेच्छा के, बिना कीमत को जाने प्रभु यीशु मृत्युदंड उठाते, तो उनकी कुर्बानी सिद्ध (perfect) नहीं होती और हमारे मुक्ति की कीमत नहीं होती

– मैं अपना प्राण देता हूं
कोई उसे मुझ से छीनता नहीं, वरन मैं उसे आप ही देता हूं । यूहन्ना 10:17,18

– हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया? तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहां है? भजन संहिता 22:1

– जिस ने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्ता न करके, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
इब्रानियों 12:2

आज सवाल है,
उसने तो प्याले को पिया,
पर आपका ‘अपने प्याले’ के विषय, क्या निर्णय है ?