भेजा कहाँ, गए किस ओर, और पहुंचे किधर

अक्सर देखा ये जाता है कि लोग बेहतर जगह जाना चाहते हैं। प्रभु की सेवा करना चाहते हैं चाहे पास्टर हों या आम विश्वासी। गवाह तो सभी को बनना है।

प्रभु यीशु ने कहा था जाओ – तो कहाँ जा रहे हैं?

  • तरशीष को जाएंगे या नीनवे के पापियों की मुक्ति के लिए?
  • हमारा प्रभु की सेवा का निर्णय किस आधार पर होता है?

बाइबिल स्कूल में पढ़ने के बाद साइकिल चलाना अच्छा नहीं लगता है। रास्ते में खड़े होकर सुसमाचार देने में शर्म है और डर है। गरीबों की बस्ती में रहेंगे तो हमारा स्तर (स्टैण्डर्ड) गिर जाएगा।

मुझे सीखने का मौका मिला जब में एक ऐसे शहर गया जिसकी प्रतिष्ठा (रेप्यूटेशन) ख़राब थी। हिंसा डकैती और अपराध था। वहां में एक ऐसे पास्टर के घर पहुंचा जो अपनी पत्नी और छोटे बच्चों के साथ सबसे खतरनाक इलाके को चुनकर प्रभु की सेवा के लिए आया। मैंने उसके घर में बहुत से पड़ोसियों को खाना खाते हुए देखा। ये वो लोग थे जिन्हें किसी ने पहले कभी दावत नहीं दी थी।

कई लोग उनमें से आज प्रभु के अनुयायी बन गए हैं।

इसी तरह मैं एक धनी परिवार में गया। उनका जवान बेटा घर छोड़कर एक गरीबों की बस्ती में एक कमरा लेकर रह रहा था। वहां पर भी कुछ पीड़ित लोग अब मसीह में हैं।

प्रभु यीशु शून्य बने और हमारे बीच आये। उन्हों ने अपने आप को इतना दीन कर दिया की अंधों, कोड़ियों, बीमारों, वेश्याओं और चुंगी लेनेवालों के बीच बैठ सके और उन्हें परमेश्वर के राज्य में ला सके। प्रभु यीशु राजा बनकर महल में नहीं बैठे और न ही कोई गुरु बनके अपने आश्रम के स्वर्ण सिहांसन पर बैठकर भक्तों से पाँव धुलवाते रहे। फिलिपिओं २:५-११

नीचे लिखे पवित्र शास्त्र के वचन हमें प्रेरित करें।

लूका ४:१८ – प्रभु का आत्मा मुझ पर है, इसलिये कि उस ने कंगालों को सुसमाचार सुनाने के लिये मेरा अभिषेक किया है, और मुझे इसलिये भेजा है, कि बन्धुओं को छुटकारे का और अन्धों को दृष्टि पाने का सुसमाचार प्रचार करूं और कुचले हुओं को छुड़ाऊं।

प्रभु यीशु की महफ़िल में कंगाल, कुचले, अंधे और बंधुए बैठते हैं।

मत्ती ४:१५-१६ – जबूलून और नपताली के देश, झील के मार्ग से यरदन के पार अन्यजातियों का गलील। जो लोग अन्धकार में बैठे थे उन्होंने बड़ी ज्योति देखी; और जो मृत्यु के देश और छाया में बैठे थे, उन पर ज्योतिचमकी।

यूहन्ना १:५ – और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। १० वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। ११ वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया।

अंधकार ने सृष्टि ने और उसके घरवालों ने उसे स्वीकार नहीं किया। लेकिन फिर भी वो आया। और हमें भी अपनी ही तरह भेजा – यीशु ने उन से कहा, जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं भी तुम्हें भेजता हूं। यूहन्ना २०:२१

और कहाँ भेजा? भेड़ियों के बीच में

मत्ती १०:१६ – देखो, मैं तुम्हें भेड़ों की नाईं भेडिय़ों के बीच में भेजता हूं।

आज प्रभु यीशु के विश्वासी या कार्यकर्त्ता या स्वयं-सेवक गवाह ऐसी जगह चुनते हैं जहाँ अच्छा स्कूल है, अस्पताल है, साफ सफाई है, बड़ा मॉल है।

प्रभु यीशु ने कहा, मैं सेवा करवाने नहीं सेवा करने आया हूँ। में खोए हुओं को ढूंढने और बचाने आया हूँ।

आज सवाल है

जाओ तो प्रभु यीशु का आदेश था
पर हम गए किधर पुहंचे किधर?

शिष्य थॉमसन