परमेश्वर हँसेगा

फ्रांस के प्रसिद्ध दार्शनिक और नास्तिक वोल्टेर ने [१६९४ – १७७८] में कहा था कि अगले १०० वर्षों में बाइबल का अस्तित्व ख़त्म हो जाएगा और कोई उसको नहीं पूछेगा।

लेकिन उसके मरने के ५० वर्ष के बाद जिनीवा बाइबल सोसायटी ने वोल्टेर का घर खरीदा और उसी के प्रिंटिंग प्रेस से हज़ारों बाइबल प्रिंट करना चालू कर दिया।

बाइबल का एक वचन मुझे याद आता है: “वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हँसेगा, प्रभु उनको ठट्ठों में उड़ाएगा” भजन संहिता २:४

जी हाँ इंसान की हर बग़ावत पर परमेश्वर को हँसी आती है।

एक और किस्सा है:

रोमी साम्राज्य का निरंकुश महाराजा डाइयूक्लेशियन ने सन् ३०३ में सारे वचन [बाइबल] की प्रतियाँ जब्त करने का आदेश दिया था, लोगों के पास पूरी बाइबल तो नही रही होगी कुछ प्रष्ट या भाग मिला होगा। जिनके पास बाइबल के अंश मिले उन्हें भी यातनाएँ देकर मार डाला गया। हर जगह वचन को जलाया गया और इसके बाद उसने बाइबल की राख पर एक विजय का स्तंभ (पिलर) खड़ा किया, जिस पर लिखा था – मसीहियत का अस्तित्व मिटा दिया गया है।

परंतु इसके २० वर्षों के बाद ही कॉन्स्टेंटीन राजा ने रोम का धर्म ही मसीहियत घोषित कर दिया और वचन फिर तैयार होने लगा और फैलने लगा।

उस समय के प्रभु यीशू के अनुयायियों ने कुछ बाइबल के अंशों के कारण अपनी जान गँवा दी थी और आज हमारे पास पूरी बाइबल होने पर भी हम उसकी कीमत नहीं समझते हैं। बाइबिल के अलग अलग वर्षन हैं, रंगीन पिक्चर बाइबल हैं, हर उम्र के लिए हैं परंतु जान देने की बात दूर है उसे पड़ना भी नहीं चाहते।

परमेश्वर का वचन जीवित है, सत्य है और आत्मा है।

‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्‍तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा’।

मत्ती ४:१२

‘आकाश और पृथ्वी टल जाएंगे, परंतु मेरी बातें कभी न टलेंगी’। मत्ती २४:३५

‘क्‍योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ-गांठ, और गूदे-गूदे को अलग करके, आर-पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारोंको जांचता है’।

[इस वचन का अर्थ है – कोई बाइबल पढ़ने के बाद ये नही कह सकता है कि मुझे पाप ओर पवित्रता के बीच का अंतर नहीं मालूम पड़ रहा है]

आपका क्या ख़याल है? क्या परमेश्वर का वचन कीमती है?

शिष्य थॉमसन