नंगा था, वो
जख्मी था, खतरनाक था, गंदगी से भरा था
समाज से बाहर हुआ एक व्यक्ति था,
(गीत….)
गिरासेनियों के देश में प्रभु यीशु नाव में अपने चेलों के साथ झील के उस पार पहुंचे
मरकुस 5.
प्रभु यीशु का स्वागत तो दूर, नाव से उतरते ही विरोध हुआ
– कब्रों से निकलकर दौड़ता आया वही व्यक्ति
सिर्फ उसे ही बचाने के लिए
प्रभु यीशु आंधी तूफान और लहरों को पार करते हुए वहां पहुंचे थे
(सर्वशक्तिमान परमेश्वर का पुत्र एक पूरे दिन का time waste करते नजर आता है )
उसने उन प्रेतों से नाम पूछा, जवाब आया
हमारा नाम सेना है क्योंकि हम बहुत हैं
प्रभु ने कहा
उस व्यक्ति में से निकल जाओ
लेकिन प्रेतों ने बिनती करी की हमें
सूअरों के अंदर जाने दिया जाए।
अंजाम ये हुआ कि
कुल २००० सूअर अपनी प्रकृति (nature) के खिलाफ बेकाबू हो गए, और दुष्टात्माओं के दौड़ाए झील में डूब मरे।
बस्ती के लोग आए, भूतग्रस्त को अच्छे होश में और कपड़े पहने बैठे देखकर डर गए
और प्रभु यीशु से उन्होंने साफ कहा कि वह उसी वक्त वहां से
वापस चला जाए
उनकी बस्ती से निकल जाए
सच कहा जाए तो
ये आग्रह केवल गिरासेनियों का ही नहीं है, आज के समाज, धर्म, और लोगों का भी है
वो प्रभु यीशु को अपने जीवन से दूर रखना चाहते हैं।
“यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा ?”
मरकुस 8:36
आज सवाल है
तो फिर एक इंसान की कीमत है क्या ?
………………………………………………
सबसे ऊंचा सबसे प्यार यीशु का वो नाम रे
स्वर्ग लोक संसार में, अधोलोक पाताल में
भूत प्रेत सब थरथर कांपें, सुन यीशु का नाम रे
सब घबराएं डर डर भागें, यीशु के शुभनाम से
राजे राज और सब नरनारी, महिमा उसकी जान के
चरण कमल पर सब रख जाएं हर वैभव और शान रे
यीशु नाम जय ख्रीस्त नाम राजाधिराज वो नाम रे
पाप हरण सब जीवन पाएँ, यीशु के बलिदान से