मज़दूर नहीं मेनेजर हैं।

मैं अक्सर मसीही कार्यकर्ताओं और पास्टरों से मिलता हूँ जो शिकायत करते हैं कि सेवकाई तो हम कर रहे हैं पर फल नहीं आ रहा है।

नीचे प्रभु यीशु द्वारा कही गयी बात स्मरण करें।

“उस ने अपने चेलों से कहा, पके खेत तो बहुत हैं पर मजदूर थोड़े हैं।
इसलिये खेत के स्वामी से बिनती करो कि वह अपने खेत काटने के लिये मजदूर भेज दे॥”

मत्ती ९:३७-३८

  • पके खेत वो हैं जहाँ कटाई बस होना है
  • सब खेत पके नहीं होते हैं
  • पर बहुत से खेत हैं जो पके हैं
  • इन खेतों की खबर खेत के मालिक (परमेश्वर) को है

आज बहुत से लोग खेत काटने तो पहुंचे हैं पर वो मज़दूर नहीं है मेनेजर हैं।
और हाँ आज बहुत से मज़दूर बिना मालिक के जाने ऐसे खेतों में कटाई के लिए पहुंचे हुए हैं जो न तैयार हैं और न जहाँ फसल ही है। बस मन की मर्ज़ी चल रही है।

क्या धान को काटने रेगिस्तान या पहाड़ पर जाएंगे या नारियल हिमालय या बर्फीले इलाके में लगेंगे?

तो फिर प्रभु का काम (कटाई) अपनी मर्ज़ी और पसंद से ऐसी जगहों में क्यों करते हैं जिसे फसल के स्वामी ने काटने को नहीं भेजा है?
योना का खेत तरशीष था, परमेश्वर का खेत नीनवे था।

तो फिर उपाय क्या है?

बस प्रार्थना करें और पूछें स्वामी से फसल और कटाई के बारे में। घुटनों पर जवाब मिलता है।

सवाल है –

कहीं किसी खेत को प्रभु का (पका हुआ) समझ कर हम अपनी अकल लगाते हुए अपने प्रयास से मेहनत तो नहीं कर रहे?
थक गए हैं? विश्राम देने वाला प्रभु आप को थकायेगा?
कठिन है ? जब कोई काम हम अपनी शक्ति से करेंगे तो अवश्य कठिन लगेगा। यदि प्रभु का आत्मा हमारे अंदर रहकर काम करेगा तो कुछ कठिन नहीं लगेगा।

गलत समय, गलत जगह और गलत तरीका। काम न आये।

शिष्य थॉमसन