मर-मर के जीवन में आया
“मर-मर के जीवन में आया” (असली और नकली क्रूस – कविता) सोचा था, सोने का मैंने हीरे मोती, जड़ा हो जिसमें चाहा वो ही, क्रूस था मैंने जो प्रिय हो सबकी आंखों मैं दूर दूर तक, ढूंढा मैंने देश विदेश, भी घूमा था मैं भूलभुलैय्यों, की गलियों में दुनिया की चौड़ी सड़कों में लोगों नेRead more about मर-मर के जीवन में आया[…]